सुधारें सबके बिगड़े काज ।
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सुधारें सबके बिगड़े काज ।।
आपका आराधन हो प्रथम,
आप निज जन की रखते लाज ।।
महादेव सुत गौरी नन्दन,
प्रथम देव जिनका हो वन्दन,
हम भी सभी करें अभिनन्दन,
नमन करते सब सहित समाज ।।
तिलक त्रिपुंड भाल पर राजै,
स्वर्ण मुकुट सिर ऊपर साजै,
मूषक वाहन द्वार विराजै,
भोग लड्डू कौ चढायौ आज ।।
ऋद्धि – सिद्धि के स्वामी आओ,
शुभ को लाभ सहित ले लाओ,
सुमिरन करते क्लेश मिटाओ,
आओ श्री गणपति महाराज ।।
शुभ मंगल करते गणेश हैं,
खुशियों से भरते गणेश हैं,
दुख दारुण हरते गणेश है,
करो निर्विघ्न बचाओ लाज ।।
गुण के साथ ज्ञान भी मिलता,
धन यश मान सभी कुछ खिलता,
शुद्धि – बुद्धि सुख आप दिलाते,
आप हैं खुशियों के सरताज ।।
जिसे आपकी पूजा आती,
मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती ,
सरस्वती माँ भी हरषाती,
करो ‘निर्भय’ सब पूरण काज ।।
••••• निर्भय नारायण गुप्त ‘निर्भय’