जिंदा लाशें जो हूकूमत से डरा करती हैं,

जिंदा लाशें जो हूकूमत से डरा करती हैं,
खुद की हस्ती मिटा के रोज-रोज मरती हैं!
उनसे अच्छे ये जनाजे के कफन हैं यारों,
जो बड़ी शान से मिट्टी में दफन हैं यारों!!

कल तलक ये भी जमाने से डरा करते थे,
ख्वाहिशें दिल में दबा आहें भरा करते थे!
आज दुनियां को भुला खुद में मगन हैं यारों,,
जो बड़ी शान से मिट्टी में दफन हैं यारों!!

मिटे जो हिन्द पे दुनियां गुमान करती है,
वो मां भी खूब है बेटा जो दान करती है!
ऐसे आंचल को मेरा लाख नमन है यारों,,
जो बड़ी शान से मिट्टी में दफन है यारों!!

मेरी है आरजू ऐसा मुकाम भी आए,
वतन फरोसों में इक मेरा नाम भी आए!
जहां में सबसे हसीं तिरंगे का कफन है यारों,
जो बड़ी शान से मिट्टी में दफन है यारों!!

जियो तो गैर की आंखों का ख्वाब हो जाओ,
मिटो तो हिन्द में इक आफताब हो जाओ!
इससे ज्यादा कहां कुछ और सुखन है यारों,,
जो बड़ी शान से मिट्टी में दफन है यारों!!
-सोहित अवस्थी

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