कुंतलता/माधवी/सुखी सवैया
कुंतलता/माधवी/सुखी सवैया
आठ सगण+लघु+लघु।
112-112-112-112
112-112-112-112-1+1
सृजन शब्द-नायक
अब जीवन में तुम आन बसे,
अब जीत लिया मन को बन नायक।
यह वेद पुराण नये लिखते,
सबसे पहले लिख ज्ञान विनायक।
जब साथ दिया मुनि व्यास लिखे,
जब काम किया करते सुखदायक।
करते हम स्वागत भाव बनें,
यदुनंदन है प्रभु जी सब पालक।
करते गुणगान सभी नित ही,
चमके दमके गणनायक चंदन।
अब दीनदयाल दया कर दो,
मन की रसना कहती कर वंदन।
सुख दायक ज्ञान सुधा बरसे,
अब प्रीत सिखा कहते हम नंदन।
मत नीति बता हमको छलिया,
बनते फिर नायक हो मधुसूदन।
तृप्ता श्रीवास्तव।