जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा
🥀 जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा 🥀
धैर्य की होगी परीक्षा,
फिर सुखद परिणाम होगा ।
जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा ।।
कितना भी, चमकेगा पीतल,
नकली तो नकली रहेगा,
जल सके कुन्दन सा जो,
वो कीमती सामान होगा ।
जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा ।।
मंज़िलें है इक तपस्या,
और जीवन है तपस्थली,
कर्म जो ‘तप’ सा करेगा,
उसका ही गुणगान होगा ।
जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा ।।
स्वीकार्य हो जिसको विषमता,
जो सहज हर भाव में हो,
जिसकी सहनशक्ति’ प्रबल हो,
वही श्रेष्ठ कीर्तिमान होगा ।
जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा ।
है कठिन चढ़ना शिखर’ पर,
और चढ़ते जाना हर पल,
ध्यान में है लक्ष्य जिनके,
उनका ही दिनमान होगा ।
जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा ।।
शिरोधार्य पथ के शूल हो जब,
छोड़कर फूलों की शैय्या,
हो त्याग में सदभावना जब,
मन राम से, श्री राम होगा ।
जो तपेगा सूर्य सा, उसका ही जग में नाम होगा ।।
वर्षा श्रीवास्तव
शिक्षिका एवं कवयित्री लखनऊ
राजाजीपुरम