पञ्चचामर
छन्द : पञ्चचामर
विधान-
चार चरण,क्रमशः दो-
दो चरण समतुकांत
(121 212 12
1 212 121 2)
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1-
पुकार है ग़रीब की,
उमा गणेश आइए।
हताश हैं क्लेश से,
मिटा क्लेश जाइए।।
विवेक से बड़ा हुआ,
गणेश नाम आपका।
बड़ा कमाल काम है,
गणेश नाम जाप का।।
2-
निरोग देह कीजिए,
महेश नाम लीजिए।
विनाश पाप घोर हो,
अपार ज्ञान दीजिए।
उमंग से भरा रहूँ,
दबंग सी उमंग दो।
घमंड से बचा रहूँ,
विवेक की सुगंध दो।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश