कुंडलिया

कुंडलिया
विषय-गुरु
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1-
गुरुवर गुरु गुण दीजिए,
गुण का दो भंडार।
गुरु गुरु दुख हर लीजिए,
सुख का दो संसार।।
सुखका दो संसार,
ज्ञान का नीर पिलाना।
हल हो कठिन सवाल,
मान के सुमन खिलाना।।
प्रभुपग पालन हार,
तुम्हीं हो गुण के सरवर।
हरलो सिर का भार,
सुनो हे मेरे गुरुवर।।
2-
गुरुवर गुरु वर दीजिए,
दीजै ज्ञान अपार।
गुरुवर निर्मल कीजिए,
कीजै गुरु भव पार।।
कीजै गुरु भवपार,
तुम्हीं से लगन लगाते।
गुरुवर शीतल नीर,
सत्य का कमल खिलाते।।
प्रभुपग कर उपकार,
मिला दो प्यारे रघुवर।
जो है जगके सार,
वही हैं सबके गुरुवर।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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