गीत

गीत
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माँ की पग धूली से,
हीरा पैदा होते।
भारी मजबूरी है,
बेटा तेरे रोते।।
1-
क्यों माता रूठी हो,
क्यों मुझसे दूरी है।
क्या मेरी गलती है,
जो ना मंजूरी है।।
सोने सी जुल्फें हैं,
छाया में हरि सोते।
भारी मजबूरी—–
2-
तुम माता लक्ष्मी हो,
हरि सँग में रहती हो।
तुम सबकी प्यारी हो,
गंगा सी बहती हो।।
शशि जैसी सूरत है,
प्रभु जी भी सुध खोते।।
भारी मजबूरी—
3-
आओ लक्ष्मी माता,
सुत सँग में रहना है।
सुनलो विनती मेरी,
अब गम मत सहना है।।
गंगा सी सलिला हो,
प्रभु जी के पग धोते।।
भारी मजबूरी—
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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