मुक्तहरा सवैया

मुक्तहरा सवैया
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121 121 121 121,
121 121 121 121
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1-
रटो नित माधव के शुभ नाम,
रहो नित राघव के शुभ धाम।
बड़े मनभावन हैं घनश्याम,
सदा सुखछावन हैं सुखधाम।।
रमा पति हो तुमही नभ भान,
उमापति ध्यावत हैं कर ध्यान।
तुम्हीं जग पालक हो रघुनाथ,
भरो उर राघव जी शुभ ज्ञान।।
2-
प्रभाकर टालत भीषण रात,
दिवाकर राघव नाम उचार।
उजागर ईश्वर नाम अनेक,
अरे मन माधव नाम पुकार।।
भरा मन सागर मोह विशाल,
महाप्रभु आकर देव उवार।
करूँ मनमोहन के गुणगान,
रमापति आकर लेव निहार।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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