बहनें स्नेह ही नहीं, हर संकट में भाइयों की रक्षा भी करती हैं : संजीव कुमार सिंह

बहनें स्नेह ही नहीं, हर संकट में भाइयों की रक्षा भी करती हैं : संजीव कुमार सिंह

भगवान श्री कृष्ण के उंगली कट जाने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी के एक कोने को फाड़ कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। कथानुसार द्रौपदी के सबसे मुश्किल समय में भगवान श्री कृष्ण ने उस साड़ी के एक टुकड़े का कर्ज, द्रौपदी का चीर हरण होने से बचा कर निभाया। वह साड़ी का टुकड़ा कृष्ण ने राखी समझ कर स्वीकार किया था। आज बहनों द्वारा देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को सीमा पर जाकर राखी बांधी जाती है क्योंकि वह बाह्य शक्ति से हमारी रक्षा करते हैं। वही,आज़ हमारी बहनें भी हर छेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपने भाइयों व देश की रक्षा निरन्तर कर रही हैं।

इस महत्वपूर्ण विचार को आगे बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ठा संजीव कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में बताया कि बहना ने भाई के कलाई से प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है” सुमन कल्याणपुर के इस लोकप्रिय गीत ने इन दो पंक्ति में राखी के महत्व का वर्णन किया है। आज महिलाओं द्वारा देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को सीमा पर जाकर राखी बांधी जाती है क्योंकि वह बाह्य शक्ति से हमारी रक्षा करते हैं। वही,आज़ हमारी बहनें भी हर छेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपने भाइयों व देश की रक्षा निरन्तर कर रही हैं। राखी पर्व पर बहनें सुबह स्नान करके पूजा की थाल सजाती हैं, पूजा की थाल में कुमकुम, राखी, रोली, अक्षत, दीपक तथा मिठाई रखी जाती है। तत्पश्चात घर के पूर्व दिशा में भाई को बैठा कर उसकी आरती उतारी जाती है, सिर पर अक्षत डाला जाता है, माथे पर कुमकुम का तिलक किया जाता है फिर कलाई पर राखी बांधी जाती है। अंत में मीठा खिलाया जाता है। भाई के छोटे होने पर बहनें भाई को उपहार देती हैं अपितु भाई बहनों को उपहार देते हैं। बहन भाई का रिश्ता खट्टा-मीठा होता है, अक्सर जिसमें वह आपस में बहुत झगड़ते हैं लेकिन एक-दूसरे से बात किए बिना नहीं रह सकते। राखी का पर्व भाई बहन के जीवन में एक-दूसरे के महत्व को बताने का कार्य करता है। रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ रक्षा करने वाला बंधन मतलब धागा है। इस पर्व में बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षा बंधन को राखी या सावन के महिने में पड़ने के वजह से श्रावणी व सलोनी भी कहा जाता है। श्रावणी पूर्णिमा में, रेशम के धागे से बहन द्वारा भाई के कलाई पर बंधन बांधे जाने की रीत को रक्षा बंधन कहते हैं। राखी के पर्व का महत्व, इतिहास के इस कहानी से लगाया जा सकता है। जब चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती ने जब देखा की उनकी सैनिक बहादुर शाह के सैन्य बल के आगे नहीं टिक पाएगी। ऐसे में रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से मेवाड़ की रक्षा हेतु हुमायूँ को राखी भेजा। सम्राट हुमायूँ अन्य धर्म से संबंध रखने के बावजूद राखी के महत्व के वजह से बहादुर शाँह से युद्ध कर रानी कर्णावती को युद्ध में विजय दिलवाया। वहीं, जैन धर्म मे रक्षा बंधन का दिन बहुत शुभ माना जाता है इस दिन एक मुनि ने 700 मुनियों के प्राण बचाए थे। इस वजह से जैन धर्म से संबंध रखने वाले लोग इस दिवस पर हाथ में सूत का डोर बांधते हैं। रक्षा बंधन का इतिहास बहुत पुराना हैं। एक बार की बात है, देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हुआ। युद्ध में हार के परिणाम स्वरूप, देवताओं ने अपना राज-पाठ सब युद्ध में गवा दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *