हमारी भी तस्वीर छपे ,एक दिन अखबार में

हमारी भी तस्वीर छपे ,एक दिन अखबार में
पद्मश्री हमको मिले और चर्चा हो संसार में
पैसा होगा और होगी गाड़ी बंगला कार
फॉरेन में प्रोग्राम हो, डॉलर मिले हजार
मैं भी शायर बन कर लिखूँ कोई गाना
प्रेम ग़ज़ल पढ़ कर मेरी जग हो जाये दीवाना
क्या रदीफ़ क्या काफिया कुछ समझ न आये
शब्द कहाँ से लेकर आऊँ सर मेरा चकराये
तभी अचानक मेरे मन मे गूगल जी याद आये
खोल शायरी वाला पन्ना कुछ गाने हमको भाये
चुरा लिया फौरन हमने कुछ लाइन एक गाने की
कौन हमे पकड़ सकेगा ऐसी तैसी ज़माने की
फेसबुक पे पोस्ट किया जब तब दिल को करार
वाहवाही के साथ भी लाइक मिले हजार
लोग बधाई देने आए मुझको मेरे गाने की
मैं बैठा हवालात में हवा खा रहा थाने की
चोरी की रचना ने नकली शायर बना दिया
असली रचनाकार ने मुझपे फौरन केस लगा दिया
कलम पकड़ के जोड़ तोड़ के रचना तो लिख जाओगे
प्यार,ईमान समर्पण कवि के जैसा दिल कहाँ से लाओगे

©®
*स्वरचित*
*अजय श्रीवास्तव*
*कानपुर*

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