सोरठा+कुंडलिया छंद पर आधारित गीत
सोरठा+कुंडलिया
छंद पर आधारित गीत
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गोरी तेरा रूप,
देख कर तन मन डोले।
सुंदरता का कूप,
देख कर जन जन बोले।।
काले काले केश,
पवन में अमृत घोले।
तुमहो भोली नार,
समझ लो मुझको भोले।।
1-
भोले हरसे प्रेम से,
गरजत बादल घोर।
घायल करती नैन से,
गोरी हो चितचोर।।
गोरी हो चितचोर,
नैन में खंजर तीखी।
कोयल करती शोर,
आप बिन दुनिया फीकी।।
प्रभुपग नाचे मोर,
प्यार से द्वारे खोले।
नाचे मनमें मोर,
देख के हँसते भोले।।
काले काले मेघ—–
2-
भोले बोले प्रेम से,
सावन सुंदर मास।
बैठे किसकी याद में,
भरके उरमें आस।।
भरके उर में आस,
याद में रैन गुजारी।
मिलने की थी चाह,
विपिन में धेनु पुकारी।।
प्रभुपग बोले वाह,
बोलते नभ में गोले।
आओ गोरी पास,
समझ के शंकर भोले।।
काले काले—-
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश