मनहरण घनाक्षरी

मनहरण घनाक्षरी
भाई-बहन

जग में मिशाल बने,
बहन की ढाल बने,
भईया मेरी जान है,
पिता के समान है,

मुझे पलकों बिठाये,
रुठूँ ज़ब वो मनाये,
लाड़ लड़ाए भईया,
बोले तू नादान है,

अंगुली पकड़ चली,
संग -संग तेरी खेली,
मेरी राखी का त्यौहार,
मेरा अभिमान है,

जिम्मेदारियां उठाये,
वो कभी न घबराये,
परिवार का आधार,
घर की वो शान है,

स्वरचित
पूजा मिश्रा
रीवा मध्यप्रदेश

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