मत्तगयंद सवैया छंद
*मत्तगयंद सवैया छंद*
211 211 211 211,
211 211 211 22
सावन में सज के बहना घर, आय गई सॅंग में रख राखी,
बांधत हाथ पुनीत सहोदर
साजत हांथ सुमेलित राखी।।
गावत सावन गीत सभी जन,
प्रेम पुनीत मनावत राखी,
पावन उत्सव लोग मनावत
प्रेम समाय न अंतरसाखी।।
है परिपूरित आत्मसनेहित
हो बहना नित रक्षक साथी।
श्री कह ईश सुनो मनमोहन
हो बहना सॅंग जीवन राखी।।
@मौलिक_सृजन
©® श्रीनिवास शुक्ला “श्री”