भाई कैसा भी हो अपना पर अच्छा होता है

भाई कैसा भी हो अपना पर अच्छा होता है

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भाई कैसा भी हो अपना पर अच्छा होता है
है कच्चे धागे का बंधन पर सच्चा होता है

जज्बातों का गहरा वजन टिका होता है
रक्षा करने हित रक्षा वचन जुड़ा होताहै

जीवन भर की रक्षा का प्रण सच्चा होता है
है कच्चे धागे का बंधन पर सच्चा होता है

रेशम धागे मे बहना की प्रीति भरी होती है
रोली चावल के टीके मे उम्मीद भरी होती है

प्रेमका भाव अटूट अनश्वर पर सच्चा होता है
है कच्चे धागे का बंधन पर सच्चा होता है

ससुराल मे बहना के हर रिश्ते से यही उलझता है
दर्द बहन का भाई से ज्यादा कोई नहीं समझता है

एक सुलझे रिश्तों के तारों का बंधन सच्चा होता है
है कच्चे धागे का बंधन पर सच्चा होता है

भाभी मान और सम्मान मेरा भाई है
भाभी जज्बात तो विश्वास मेरा भाई है

सावन की इस प्रीति का बंधन सच्चा होता है
है कच्चे धागे का बंधन पर सच्चा होता है

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कवियित्री
कल्पना भदौरिया “स्वप्निल ”
लखनऊ
उत्तरप्रदेश

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