मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
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सिर पर तिलक है,बंद हर पलक है,
सुखमय झलक है,देख भोले नाथ की।
मुंडन की माल डाल,चलें भोले मस्त चाल,
विजया की हरी डाल,लेख भोले साथ की।।
शीश पे चाँद जिनके,अंग पे भस्म उनके,
कण कण लेख लीजै,रेख भोले हाथ की।
आस कील पास कील,कील देव व भूत को,
यंत्र मंत्र तंत्र कील,मेख भोले नाथ की।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश