गीत- (उल्लाला(विषम चरणी)+ छप्पय छन्द पर आधारित) ——————————

गीत-
(उल्लाला(विषम चरणी)+
छप्पय छन्द पर आधारित)
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सेंदुर की डिब्बी साथ में।
बहना लाई आस में।।
है रक्षा बंधन हाथ में।
बहना बैठी पास में।।
1-
राखी का त्यवहार,
मनाते सब नर नारी।
सुधरा मत व्यवहार,
मची है अत्याचारी।।
शिक्षा का मत सार,
बने हैं दानव भारी।
रोती फिरतीं नार,
बड़ी है भ्रष्टाचारी।।
राखी बाँधूंगी सोच के।
रक्षा बंधन खास में।
है रक्षा बंधन—
2-
सबसे पहले आज,
उसे बाँधूँगी राखी।
देके तनका दान,
लाज भारत की राखी।।
आओ भैया आज,
बाँध दूँ प्यारा बंधन।
रखना इसकी लाज,
कभी मत करना खंडन।।
राखी बाँधूँगी वीर को।
प्यारे सावन मास में।।
है रक्षा बंधन—
3-
भूलूँ नहीं किसान,
अन्न का देते दाना।
भैया सबकी जान,
दौड़ के जल्दी आना।।
लाई सँग मिष्ठान,
प्रेम से भैया खाना।
बंधन बाँधूं आन,
भूल मत भैया जाना।।
हलधर को राखी बाँधना।
खेले निस दिन घास में।।
है रक्षा बंधन–
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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