घनाक्षरी
विषय – *गुरुवर*
विधा – *घनाक्षरी*
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गुरुवर ज्ञानाधार , वंदन करो स्वीकार ,
आशीषों की शुभ सुधा , हमको पिलाइए ।
गिरतों को थाम लेना , ताड़ना या प्रेम देना ,
कुंभकार सम प्रभु , घट गढ़ जाइए ।
जीवन जलधि बीच , डगमग डोले नैंया ,
बनके खेवैया इसे , पार तो लगाइए ।
दुर्गुण को हर लीजे ,पावन हृदय कीजे ,
ज्ञान चक्षु खोलकर , पथ तो दिखाइए ।।1।।
ज्ञान हीन रह जाते , गुरुवर जो न आते ,
उनके आशीष का तो , मोल पहचानिए ।
गुरु चरणों की सेवा , देती शुभ मधु मेवा ,
जीवन मधुर करे , सत्य यही जानिए ।
वेद शास्त्र ज्ञाता वही , गुरु सम कोई नहीं ,
उनकी चरण सेवा , करने की ठानिए ।
आचरण शुद्ध करे , हृदय कलुष हरे ,
गुरु आज्ञा ईश सम , सदा सब मानिए ।।2।।
*इन्द्राणी साहू”साँची”*
भाटापारा (छत्तीसगढ़)