सावन बरसे सुहाना

सावन बरसे सुहाना

रिमझिम बरसे सावन सुहाना,
बूंदो नें छेड़ा मधुर तराना,

सावन के आते ही हरे दुपट्टे,
हरे दुपट्टे हरी चूड़ियों,
और मेंहदी से हाँथो को रचाना,
रिमझिम बरसे…..

सावन लगे है गीत सा,
मन के सच्चे मीत सा,
सावन लाया त्योहारों का नज़राना,
रिमझिम बरसे…..

धरा कर के श्रृंगार,
रूप लाई निखार,
चहुँ दिश नज़ारा कैसा सुहाना,
रिमझिम बरसरे…..

स्वरचित
पूजा मिश्रा
रीवा मध्यप्रदेश

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