किताबों पे लिखा है जो

किताबों पे लिखा है जो,
वही किस्सा हमारा है !

जिसे मैं याद कर तड़पा,
हसीं चेहरा तुम्हारा है !
जिसे तुम तोड़ कर मुस्काये थे,
हद से कहीं ज्यादा ….

तुम्हें ही चाहता अब तक,
ये नादाँ दिल हमारा है !
मुझे बर्बाद करने में,
कसर तुमने नहीं छोड़ी…

मगर वीरान सी दुनिया को
मैंने फिर संवारा है !
न कोई गैर ना अपना
हुआ साथी मेरे गम का …

मेरी बेरंग दुनिया का
किताबें ही सहारा है !

स्वरचित मौलिक
अभिषेक शर्मा
सीधी मध्य प्रदेश

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