शुरू हुआ जो सिलसिला
शुरू हुआ जो सिलसिला
रुकने अब न पायेगा
देश का मान बढ़ायेगे
अपना परचम लहरायेगें ।
कांस्य, रजत, स्वर्ण पर
टिकी निगाह हमारी है
लक्ष्य भेदी हैं ये सपूत
लक्ष्य भेद कर लाएंगे
देश का मान ….
झोकी सारी ताकत निराशाओं
की बात नहीं
शानदार प्रदर्शन की शुरुवात
है ये नई ।
बहते आंख के आंसू से हम
उम्मीदें नई जगायेगें ।
देश का मान ….
जो संभव कभी हो न सका
संभव हम वो कर जाएंगे
पावन भूमि हमारी है
इस मिट्टी से तिलक लगायेंगे ।
देश का मान…
स्वरचित- रश्मि शुक्ल
रीवा (म.प्र.)