महाभुजंगप्रयात सवैया
*महाभुजंगप्रयात सवैया*
*122 122 122 122 ,122 122 122 122*
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*विषय —– भावना*
कहूँगी यहाँ भावना आज मैं तो , तुम्हारे सिवा है न कोई हमारा ।
कई जन्म से मैं तुम्हें ही पुकारूँ , तुम्ही हो सदा से यहाँ तो सहारा ।
सभी जन्म में ही सही पीर मिथ्या , सुनो प्राण प्यारे बहे आज धारा ।
सभी भूल थी जागती आज आत्मा , यहाँ साधना से मिला ईश प्यारा ।।
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हटे मैल सारे करो आज ऐसा , सभी बैर भूलें बजेगा तराना ।
सु भावी यहाँ हो सभी जीव देखो , यहाँ मुस्कुराते हुए देख आना ।
रखो पावनी भावना को दिलों में , वहीं तो रहा है सदा से खजाना ।
यहाँ नित्य जो लोग उत्कृष्ट होते , उसी भाव को ही सदा ही सजाना ।।
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*व्यंजना आनंद “मिथ्या “*✍🏻