मोदी सरकार की बेतहाशा महंगाई के बढ़ते विकास के आसमान से झांकती ग़रीब,मजदूर,किसान और बेरोजगारों की बर्बादी : ठा संजीव कुमार सिंह
मोदी सरकार की बेतहाशा महंगाई के बढ़ते विकास के आसमान से झांकती ग़रीब,मजदूर,किसान और बेरोजगारों की बर्बादी : ठा संजीव कुमार सिंह
लखनऊ। राष्ट्रीय नेता, इंडियन नेशनल कांग्रेस एआईसीसी पर्यवेक्षक प्रभारी, बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, सदस्य इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स सचिव, कांग्रेस किसान एवं औद्योगिक प्रकोष्ठ, कानूनी सलाहकार सदस्य, चुनाव प्रचार समिति बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल और आसाम एवं लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार ठाकुर संजीव कुमार सिंह ने कहा कि सालों पहले यूपी में मुंहनोचवा का आतंक था, ये उन्ही के अवतार है। मोदी सरकार के बेतहाशा महंगाई के विकास के आसमान से झांकती ग़रीब,मजदूर,किसान और बेरोजगारों की बर्बादी किसी को भी दिखती ही नही। ना दिखेगी।अफ़सोस यह है कि यह फ्री की अफीम नूमा नशा देशवासियों के लिये स्लोपोईज़न से कम नही। फ्री का खिलाना है चर्चा उसकी कौन करे जो डीजल, पैट्रोल, सरसों के तेल, रिफाइंड पर कई गुना मोदी और योगी सरकार द्वारा ग़रीब जनता से दुगुना कोविड संकट काल के नाम पर बसूला जा रहा है। विकास का पैमाना तो यह है कि यूपी में पैंसठ प्रतिशत लोग यानि कि तेईस करोड़ जनसंख्या में से पंद्रह करोड़ लोग फ्री अन्न योजना में शामिल हैं। यूपी में इतनी गरीबी और बेरोजगारी है। इसे फ्री की बीमारी का नाम मत दीजिए। ये जनता को मानसिक गुलाम बनाये रखने का धर्म के बाद दूसरा अतिमहत्वपूर्ण शस्त्र है। 5 किलो फ्री अनाज में देश की जनता को 5 सालों के लिए अपना भविष्य गिरवी रख देगी। मोदी और योगी का प्रयास प्रत्येक व्यक्ति को भिखारी बनाने का है ना कि कोई रोजगार सुलभ कराने का हैं। ना ही ये कर पाएंगे क्योंकि इन बेचारों को सरकार चलाने का कोई भी अनुभव ही नहीं हैं। ये क्या सरकार चलायेगे। गरीब को 5 किलो गेहूं पर इतना ढिंढोरा और उद्योगपतियों का कई लाखों करोड़ रुपए एनपीए करके राईट ऑफ कर दिया जाता है, उस पर चुप्पी, ऐसा क्यों? हा देश की जनता गरीब है, फिर भी पूंजीपतियों से ज्यादा टैक्स देती है इनडायरेक्ट टैक्स के रूप में। देश की जनता के टैक्स के दम पर ही देश चलता है, न कि पूंजीपतियों के दम पर। देश में कुल टैक्स का 67% टैक्स देश की जनता ही भुगतान करती है, और देश की ग़रीब जनता ही मोदी जी ने कटोरा थमा दिया हैं। आमआदमी /जरूरतमंद को सहायता पर थीसिस पर थीसिस लेकिन कॉरपोरेट परिवारों को साल दर साल लाखों करोड़ की माफी पर चुपी क्यों..?
महामारी में देश की अर्थव्यवस्था गिरी और आमजन भुखमरी के कगार पर लेकिन इसी दौरान अम्बानी अडाणी एशिया के चोटी पर कैसे ? केंद्र सरकार का दावा है कि वह देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन (कोरोनाआपदा काल) दे रही है। उ0 प्र0 में मुफ्त में राशन पाने वालों की संख्या 15 करोड़ है। यानी देश मे 61 प्रतिशत लोगों और उ0 प्र0 में 68 प्रतिशत की आय इतनी कम है कि मुफ्त का राशन न मिले तो उनके लिए पेट भरना भी एक समस्या बन जायेगा। क्या यही विकास की तस्वीर है?
यह विकास यानी आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर है। क्या विश्व गुरु भारत को ऐसे ही आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है..? गरीवों को 5 किलो अनाज देखकर डीजल पेट्रोल व रोज मर्रा की आवश्यक घरेलू सामानों जो दोगुना रेट में बेच कर मोदी सरकार रोज़ गरीबों से अरबों खरबों रुपए कमा रहे हैं।