भजन गीत
भजन गीत
तर्ज-
घनश्याम तुम्हें देखूँ
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(2 22 122 2,
1121 12 22)
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हरि उर में हमारे हैं,
मन फूल चढ़ाते हैं।
हरि उर में तुम्हारे हैं,
तन फूल खिलाते हैं।।
1-
सूरत जो सुहानी है,
घन श्याम हमारा है।
हीरा सा सितारा है,
वह श्याम सहारा है।।
सोने से सुहाने हैं,
सिर धूल लगाते हैं।।
हरि उरमें—–
2-
गज को आ बचाया था,
वह राम हमारा था।
रावण को मिटाया था,
वह राम दुलारा था।।
पावक से बचाते हैं,
वह नाम बुलाते हैं।
हरि उर में—–
3-
प्रभुपग से लगे नैना,
अब चैन नहीं मन में।
कण कण में वसेरा है,
हम देख रहे तन में।।
जग का जो उजाला है,
वह नाम सुनाते हैं।
हरि उरमें—-
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश