पंद्रह अगस्त फिर आया

*पंद्रह अगस्त फिर आया*

करो नमन भारत वीरों को
पंद्रह अगस्त है फिर आया ।
वीरों के ही बलिदानों से
यह शुभ दिन हमने है पाया।

कितने ही घर थे तब उजड़े,
माताओं ने सुत थे खोए।
हँसकर झूले फाँसी फंदे,
पर आजादी के बीज बोए।
कर निछावर अपनी जवानी,
भारत को सम्मान दिलाया।
करो नमन भारत वीरों को
पंद्रह अगस्त फिर है आया।
आजादी के भीषण रण में
कितनी सधवा बनी अभागन।
भाई जब झूले फंदे पर
बहनों के तब सूखे सावन,
घोर यातना बादल बरसा,
अन्तः जोश ना थमने पाया।
करो नमन भारत वीरों को,
पंद्रह अगस्त फिर है आया ।।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी, कानपुर नगर

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