करो सद्व्यवहार

*करो सद्व्यवहार*
आज बढ़े हैं दुर्जन जग में,
देखो कम हो रहे सुजान।
चार शब्द क्या सीख लिए हैं,
समझ रहे खुद को विद्वान।

द्वेष दम्भ निज मन में रखते,
करते पगपग भ्रष्टाचार।
श्रम करने से तो यह डरते,
पर धन चाहें ये मक्कार।
माया के चश्मे से देखें,
करते सबका ही अपमान
आज बढ़े हैं दुर्जन जग में,
देखो कम हो रहे सुजान।

पाई शिक्षा है अच्छी तो,
मानवता का करो प्रसार।
जीवन का सार समझकर ही,
करिए सदा सद्व्यवहार।
हो चाहे अमीर या गरीब,
अपने पन का रखना मान।
आज बढ़े हैं दुर्जन जग में,
देखो कम हो रहे सुजान।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव तिलसहरी, कानपुर नगर

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