गजल

गजल

सिलसिला रिश्तो का

प्रेम की डोर से बंध जाते हैं रिश्ते,
हर जगह साथ निभाते हैं रिश्ते।

दिलों की डोर होती है नाजुक बड़ी,
अनकहे जज्बात जोड़ जाते हैं रिश्ते।

हर किसी से हम दिल को लगाते नहीं,
फिर भी जख्म गहरे दे जाते हैं रिश्ते।

बात दिल की दिल में रह जाती है ,
मगर आंखों के रास्ते दिल में उतर जाते हैं रिश्ते।

अब सिलसिला रिश्तो का ना टूटे साधना,
क्योंकि अंत तक साथ निभाते हैं रिश्ते।

 

स्वरचित मौलिक
साधना तिवारी रीवा

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