अनुकूला छंद
अनुकूला छंद
विधान-
[भगण तगण नगण+गुरु गुरु]
( 211 221 111 22
11 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत
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विषय-चित्राधारित
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गाय बँधी है घर पर प्यारी।
देख खुशी है लख कर नारी।।
थाल लिए है कर मन प्यारी।
गाय उसी पे तन मन हारी।।
भोर निराली सुख कर आई।
शीत हवा भी मनहर लाई।।
देख हिलोरें भर भर आतीं।
प्रेम तराना गुन गुन गातीं।।
फेर रही है सिर कर गोरी।
साथ सुनाती मधुरम लोरी।।
अंग सफेदी तन पर साड़ी।
लाल निराली मनहर साड़ी।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश