दीपक ज्ञान जलाने बाले, तुम सच्चे धन वाले हो।

🥀ताटंक छंद🥀
(16-14 यति चरणान्त तीन गुरुओं से)
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दीपक ज्ञान जलाने बाले,
तुम सच्चे धन वाले हो।
अज्ञान मेघ दूर तुम करते,
तुम अच्छे रख वाले हो।।
अंधकार था सकल जगत में,
प्रभा जगाने वाले हो।
राह सुगम करते हो गुरुवर,
धीर वँधाने वाले हो।।
दीपक ज्ञान——
भूल भुलैंयों के चक्कर से ,
आप छुड़ाने वाले हो।
ज्ञान विवेक कौशल कि मूरत,
सदा बनाने वाले हो।।
जन्म जन्म के पाप करम को,
हाल नशाने वाले हो।
गुरु अमृत रूपी सरवर में,
स्नान कराने वाले हो।।
दीपक ज्ञान ——
मन गाड़ी में सदा विराजो,
गाड़ी हांकन वाले हो।
गाड़ी पंचर होय न जीवन,
काटें टारन वाले हो।।
तन कोठी है फीकी फीकी ,
रंग जमाने वाले हो।
घना अँधेरा चहुँ दिश छाया,
तुम हि सूर्य निराले हो।।
दीपक ज्ञान —-
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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