न जाने ऐसा क्या हुआ कि तुम से बात की और तुम्हें ही से प्यार हो गया

न जाने ऐसा क्या हुआ कि तुम से बात की
और तुम्हें ही से प्यार हो गया

फूलों तो खिले पर उसकी रंगत से प्यार हो
गया महकी ब्यार तो हवाओं से प्यार हो गया

पंछियों का कलरव सुना तो ,मन आंनदीत हो गया
प्रकृति से प्यार हो गया

देखा चांद को तो तुम याद आए चांदनी से
प्यार हो गया

नहीं कुछ तो बस अकेले में खुद से बातें की
खुद से ही प्यार हो गया

तुम से बात की तुम से ही प्यार हो गया
इज़हार किया नहीं आंखों से बयां हो गया

न जाने ऐसा क्या हुआ कि तुम से बात की
तुम ही से प्यार हो गया

अर्चना आरची
भोपाल मध्यप्रदेश

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