आधार छंद- वाचिक स्रग्विणी पर आधारित बह्र

आधार छंद-
वाचिक स्रग्विणी पर
आधारित बह्र
मापनी-
212 212 212 212
————————————
ज्ञान के दीप की रोशनी चाहिए।
शब्द की भीड़ भी डोलनी चाहिए।।

प्रेम से रागनी में बसो माँ सदा,
आप के प्यार की रोशनी चाहिए।।

फूल तोड़ो नहीं बेल काटो नहीं,
लाल के साथ लाली हमेशा रहे।

धूप में भी कहें नाचती जोगनी,
बात की बात भी बोलनी चाहिए।।

नीर से ही रहे आपकी चेतना,
नीर का ही नहीं मोल जाने कभी।

नीर को फ़ालतू में बहाना नहीं।
बात सच्ची कही सोचनी चाहिए।।

पेड़ की छाँव में आप बैठे रहे,
आज आरा उसी पे चला जा रहा।

पेड़ को काट हीरा लगे खोज़ने,
जान की राह भी ख़ोजनी चाहिए।।
—————————————
प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *