प्रकृति ने मन मोह लिया*
*शीर्षक : प्रकृति ने मन मोह लिया*
न सूरज ने मोह लिया
न चाँदनी ने मोह लिया
मुझे तो अँधियारा मिटाने वाली
रोशनी ने मोह लिया
*मुझे तो प्रकृति नें मन मोह लिया…….*
न तितली, भँवारों ने मोह लिया
न गुलशन ने मोह लिया
मुझे तो चारों ओर सुगंध बिखेरने वाले फूलों ने मोह लिया
*मुझे तो प्रकृति ने मन मोह लिया…..*
न वृक्षों ने मोह लिया
न हरे भरे बागो ने मोह लिया
मुझे तो पशु – पक्षियों की भूख मिटाने वाले
रसीलें फलों ने मोह लिया
*मुझे तो प्रकृति ने मन मोह लिया……*
न समुंदर के जल ने मोह लिया
न झरते हुए निर्झर ने मोह लिया
मुझे तो लघु जीवों की प्यास बुझाती
पंक जल ने मोह लिया
*मुझे तो प्रकृति ने मन मोह लिया…..*
न काली घटाओं ने मोह लिया
न गरज़ती बिजली ने मोह लिया
मुझे तो तपती धरा को शांत करने वाले
बारीश की बूँदों ने मोह लिया
*मुझे तो प्रकृति ने मन मोह लिया……..*
प्रकृति की निस्वार्थता ने मोह लिया
प्यास बुझाती झील, नदियों ने मोह लिया
ऊँचाई को छूने वाली पर्वतों ने मोह लिया
*मुझे तो प्रकृति ने मन मोह लिया……*
*मुझे तो प्रकृति ने मन मोह लिया…..*
*संध्या जाधव, हुबली कर्नाटक* ✍🏻✍🏻