उल्लाला छंद आधारित गीत
उल्लाला छंद
आधारित गीत
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माता कवियों की जान हो,
देती विद्या दान हो।
कैसे तेरे बिन गान हो,
बीच सभा में मान हो।।
1-
माँ कवियों के मन बैठ के,
माला जपतीं राम की।
हम जय माता दी बोलके,
माला फेरें नाम की।।
तुम स्वर सलिला की धार हो,
गंगा जैसी शान हो।
कैसे तेरे बिन——-
2-
कवि की जिभ्या में वास कर,
वाणी सच्ची बोलतीं।
हम शीश झुकाते प्रेम से,
माता उर में डोलतीं।।
माँ जो बोलें सो हाल हो,
स्वर सरगम की तान हो।
कैसे तेरे बिन—–
3-
ऐ कवियों का तन धाम है,
माता किए निवास हैं।
सब ममता का ही काम है,
मूरख अधिक उदास हैं।।
प्रभुपग कवियों को ज्ञान हो,
विद्या रूपी खान हो।
कैसे तेरे बिन—–
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश