कब कहां कैसे बदलती है पता नहीं चलता है जिंदगी

कब कहां कैसे बदलती है
पता नहीं चलता है जिंदगी

कितने लोग मिल जाते हैं इस जीवन में
जो किसी का जीवन बदलते हैं

कई इल्ज़ाम लगते हैं जीवन में
कई , साथ चले जाते हैं

कई छुट जाते जीवन में , पर बदल जाती है
जिंदगी

कुछ लोग उम्मीदे जगा जाते हैं कुछ
मिटा जाते हैं

बस जिंदगी बदल जाते , एक कारवां सी हो
गई है जिंदगी

समय के साथ परिवर्तित हो जाती है
कोई समझ जाता कोई को देता है जिंदगी

कभी नासूर कभी खुशनुमा हो जाती है जिंदगी
बस मौसमों की तरह बदल जाती है जिंदगी

कभी सुबह ,कभी शाम ,कभी रात हो जाती है
जिंदगी

बस एक वक्त आता है कि खामोश हो जाती है
जिंदगी
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अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश

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