आदर्श

आदर्श
नारियां देश की जाग जाएं अगर
युग स्वयं बदलता चला जाएगा
शक्तियां जागरण गीत गाए
युग स्वयं बदलता चला जाएगा

आदर्श बने, समाज में आगे बढ़े
पुरुषों से कंधा मिला कर चले
खुद की शक्ति पहचाने अगर
युग स्वयं बदलता चला जाएगा

ममता की मूरत है अगर नारी
जरूरत में करती सिंह सवारी
खुद के अधिकार समझे अगर
युग स्वयं बदलता चला जाएगा

करुणा दया तुम में समाई
यमराज से देखो तुम लड़ आई
कल्पना चावला बन जाए अगर
देश स्वयं तुम्हारे गुण गाएगा।
नारियां देश की…।

प्यार त्याग समर्पण की मूरत
घर को स्वर्ग बनाने की चाहत
जुल्म सहने से अच्छा रोके अगर,
जुल्मोसितम होना बदल जाएगा।

आदर्श बनो, खुद पर भरोसा करो,
परिवार की नीव बनो
इतिहास स्वयं तुम रचो
युग स्वयं ही बदल जाएगा।

स्वरचित एवं मौलिक
साधना तिवारी
रीवा मध्य प्रदेश

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