चवपैया छंद

चवपैया छंद
30 मात्रा 10 -8-12अंत गुरु
(अंत में 1122 उत्तम)
विषय-काज़ल
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1-
लोचन का काजल,काला काला,
लख कान्हा हरसाए।
राधा की सूरत,प्यारी प्यारी,
मनमोहन उरभाए।।
छम छम पग पायल,राधा रानी,
मधुवन में छनकाए।
मनहर की मुरली,धुन मनभावन,
श्यामा मन भरमाए।।
2-
काज़ल मोह रूप,नैनों में है,
डगर नहीं दिखलाए।
माया है प्यारी,हीरा जैसी,
तन मन को तरसाए।।
राधा की सूरत,लख लख मोहन,
विपिन बीच भरमाए।
काज़ल जैसी है,कोयल काली,
मधुरम राग सुनाए।।
3-
काज़ल नैनों में,भरके काला,
मन गोरी इठलाए।
काली रातों में,भटके वाला,
उर उसका उकलाए।।
ढूढ़ रही मग में,प्रिय साजन को,
उरमें अति दुखछाए।
प्रभुपग देखें फिर,अजब नजारा,
सोने सा सुखपाए।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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