पत्रकारिता में अपराधी, कैसे : जिम्मेदार विभागों की लापरवाही और पारदर्शिता के अभाव में पवित्र पत्रकारिता में अपराधियों की घुसपैठ होती है आसान

*पत्रकारिता में अपराधी, कैसे : जिम्मेदार विभागों की लापरवाही और पारदर्शिता के अभाव में पवित्र पत्रकारिता में अपराधियों की घुसपैठ होती है आसान*

एडवोकेट आदित्य कुमार सक्सेना

*एटा ब्यूरो :-* समाज में सभी सभ्य और संस्कारवान हो, ये सम्भव नहीं है। क्योंकि, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग न हो। “शेर की खाल में भेड़िये” कहें या “शराफ़त का मुखोटा लगाए कुकर्मी” इनको अपने आपराधिक कुकर्म को छुपाने के लिए कुछ आड़ चाहिए होती है। वैसे तो अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित क्षेत्र राजनीति रहा है। यहाँ अपराधी सफ़ेदपोश बनकर अपने कुकर्मों को अंज़ाम देता रहा है।
परन्तु, अपराधियों ने अब पनाहगाह के रूप में पवित्र पत्रकारिता के क्षेत्र को भी नहीं छोड़ा है। लेकिन पवित्र पत्रकारिता के क्षेत्र में किसी अपराधी को एन्ट्री मिल रही है तो, कई जिम्मेदार विभागों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगता है। जैसे कि प्रशासनिक स्तर पर प्रभारी अधिकारी प्रेस, पुलिस, एल0 आई0 यू0 एवं सूचना विभाग के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर आप और हम।
जब भी किसी व्यक्ति को पत्रकार बनाया जाता है तो निरगित संस्थान से 3 पत्र जारी किए जाते हैं। पहला जिलाधिकारी (प्रभारी अधिकारी प्रेस), दूसरा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, तीसरा सूचना अधिकारी। पर अफ़सोस इस बात का है कि इन तीनों ही जिम्मेदार विभागों में बैठे जिम्मेदार लापरवाही अथवा प्रलोभन में आकर प्राप्त हुई पत्रों को फाइलों की शोभा बढ़ाने के लिए छोड़ दिया जाता है।
ऐसा ही एक मामला 4/5 जुलाई 2021 को प्रकाश में आया जिसमे जनपद एटा की पुलिस के अनुसार 2012 से आपराधिक इतिहास रखने वाला एक व्यक्ति एटा नगर कोतवाली के अंतर्गत आने वाले विजय नगर कॉलोनी निवासी बड़ी मात्रा में गांजा तस्करी में वांछित पाया गया। जबकि पुलिस स्टेटमेंट के अनुसार इस व्यक्ति को पत्रकार बोला गया, जिसके विरोध में जनपद के सैकड़ों पत्रकारों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय को ज्ञापन के माध्यम से रोष प्रकट किया गया कि एक पुरानी आपराधिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति पत्रकार कैसे बन सकता है। ये तो पवित्र पत्रकारिता को कलंकित करने जैसा है।
यदि समय रहते सम्बंधित विभागों के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों ने उपरोक्त व्यक्ति की जांच करा ली होती तो समाज से एक शातिर अपराधी कानून की गिरफ्त में होता और पवित्र पत्रकारिता भी कलंकित न होती।
इसके साथ ही आपको और हम को भी सतर्क रहना होगा, जिससे पवित्र पत्रकारिता में राष्ट्र, समाज एवं मानवता के दुश्मन घुसपैठ न कर सकें। परन्तु, ये तभी सम्भव है जब सूचना विभाग से समय-समय पर मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत पत्रकारों की सूची को सार्वजनिक किया जाए। इसमें कोई विरोधाभास नहीं होना चाहिए। क्योंकि, पत्रकार समाज एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित व्यक्तित्व होता है। अतः पारदर्शिता जरूरी है समाज एवं राष्ट्र को पता होना चाहिये कि कौन व्यक्ति पवित्र पत्रकारिता से जुड़ा हुआ है।
Post by neeraj jain
पत्रकार स्वयं सहायता समूह द्वारा प्रेषित

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