मेरी छोटी सी बगिया
मेरी छोटी सी बगिया
मैंने अपने घर के बाहर एक बगिया बना रखी है ,उसमें एक छोटी सी दुनिया बसा रखी है।
आम , अमरुद , जामुन, नींबू जैसे पेड़ लगा रखें हैं, उस पर छोटे-छोटे परिन्दों ने भी अपने घर बना रखें हैं।
रंग बिरंगे फूलों से भी सजी है मेरी बगिया ,जिस पर रंग -बिरंगी तितलियों ने भी अपना डेरा जमा रखा है।
हर पेड़ पौधा घर में सौगात में है आया , मेरा हर जन्मदिन नया साल इन्होंने ही तो यादगार बनाया।
कभी -कभी इन्हीं पेड़ों पौधों से ही अपनी उम्र का अंदाजा लगा लेती हूं।
इन पेड़ पौधों से बातें करके लॉक डाउन के दिन बिता लेती हूं।
अब तो मेरी बगिया ने अपना नया रूप दिखाया, मेरे पूरे परिवार की ऑक्सीजन की आपूर्ति का पूरा जिम्मा उठाया।
कहतें हैं सच्चे दोस्त हर पल साथ निभाते हैं ,मेरे हर पेड़ – पौधे ने अपना यह दायित्व भी बखूबी निभाया।
इन पेड़ पौधें में तो मुझे भगवान नजर आया, इन्हीं पेड़ – पौधों ने मेरे घर को मन्दिर बनाया।
स्वरचित कविता
मनस्वी त्यागी
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ गाजियाबाद चैम्पियन