*विधा : कुण्डली*
*विषय : गोरी*
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गोरी का तन हेम-सा, श्याम मेघ-से केश।
शोभित उसकी देह पर,सुन्दर प्यारा वेश।
सुन्दर प्यारा वेश, रंग उसके आकर्षक।
मंद-मंद मुस्कान, लगे सबको सुखदायक।
कह ‘रशीद’ कविराय,षोडशी है वह छोरी।
दर्पण में लख रूप, लजाती अल्हड़ गोरी।
*-रशीद अहमद शेख़ ‘रशीद’*