इम्तिहान
इम्तिहान
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इम्तिहान की घड़ी आ गई है,
सबके संयम की!!!
अपनी इच्छाओं को सीमित कर लो,
यही बताती ये टिकटिक घड़ी!!!
चारों ओर खामोशी ने लगा दिया है पहरा
हर तरफ नजर आता है परेशान सा चेहरा
कुछ बच्चों के खिलौने अब हैं टूट गए,
नई खिलौने को लाने की जिद करते मासूम ये सो गए !!!
हो गई फिर सुबह,मंदिर में भी सन्नाटा पसरा,
मंदिर से हो गई घंटी गुम,भिखारियों का भी आसरा
छूटा !!!!
खौफ इस तरह का बढ़ता जा रहा है,
आदमी आदमी से कतरा रहा है!!!
ऐसी भयावह स्थिति हो जाएगी,ये सोचा नहीं था,
मंदिर जाने पर भी पहरा होगा,ये सोचा न था!!!
हे मां,अब तुमसे ही है आस बंधी,
हाथ जोड़ विनती कर रहे हैं सभी !!!
इस मधु कैटभ जैसे दानव से हमें बचाओ,
इस घनघोर पीड़ा से मुक्ति अब दिलाओ !!!
ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भी होगी यही विनती,
मानव युग खतरे में है हाथ जोड़ कर रहा है विनती !!!
कुछ उदास मां आप भी तो होंगी,
भक्तों की भीड़ मंदिरो में न होगी!!!
इस त्रासदी में मां कालरात्रि का रूप लेकर आओ मां,
हमें अपने मंदिर में दीप जलाने का सौभाग्य दे दो न मां
उमा “पुपुन”
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