प्रेम की डोरी

🌹प्रेम की डोरी🌹

तुम्हारी ये अदाएँ आज फ़िर कुछ कहती हैं
आओ ज़रा खामोशियों में गुफ़्तगू कर लें।
न तुम कुछ कहना कुछ पल अपने होठों से
न मैं कुछ कहूँगी इक पल भी अपनी अदाओं से।

कहना होगा गर तो कह देंगी ये नशीली फ़िज़ाएं
मेरी ये लहराती जुल्फें जो इस चेहरे की रँगत है।
तुम्हारा यह मुस्कान से भरा खूबसूरत सा चेहरा
जो न जाने क्यूँ यह डोर खींचें है मुझे तुम्हारी ओर।

यह जो प्रेम है तुम्हारा लागे लौ को मिल गया ‘दिया’ है
जन्नत से भी खूबसूरत लगता है प्रियवर साथ तुम्हारा।
तुम जो साथ रहते हो तो दुनिया खिल सी जाती है
तुम्हारे प्रेम में मेरी दुनिया और भी रंगीन हो जाती है।
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गीतिका पटेल “गीत”
कोरबा, छत्तीसगढ़
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