अम्मा तुम फिर आ जाओ ना
एक कविता ( माँ की याद में )
अम्मा तुम फिर आ जाओ ना
मुझे प्यारी बिटिया बुलाओ ना
अम्मा तुम बिन मैका सूना
घर का कोना कोना सूना
आंगन की खटिया सूनी है
छत की मुंडेर भी सूनी है
अम्मा तुम ……….
तुम थी तो मालपुए मेरे
मुझे प्यार से बहुत खिलाती थी
अब कौन खिलाएगा अम्मा
व्यंजन भी है सूना सूना
अम्मा तुम ………….
तुमसे ही सीखा था अम्मा , मैंने
इक गृहिणी के सारे गुण
प्यारी मम्मा बन गयी हूं मैं
आकर आशीष बहा दो ना
अम्मा तुम फिर आ जाओ ना
अम्मा तुम फिर आ जाओ ना ।
सुधा तिवारी ( साकेत नगर )
देवरिया उ0 प्र0