कब तक महकना है ये बहार को तय करना है,

कब तक महकना है ये बहार को तय करना है,
इश्क कब तक चलेगा ये इंतजार को तय करना है।

भूख, प्यास, तपन, ठंड़, महामारी ये सभी हैं,
हमें किससे मरना है ये सरकार को तय करना है।

जुल्म क्या है जुल्म किया किसने है छोड़ो भी,
नाम किसका छपेगा ये अखबार को तय करना है।

सलाखों में कैद हो गयीं है अब हिम्मतें तुम्हारी,
तुम्हे कितना झुकना है ये दरबार को तय करना है।

बेंच दी पत्नी की पायलें जिस फसल को बोने में,
वह बिकेगी कितने में ये बाजार को तय करना है।
– आदर्श सिंह

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