पति पत्नी

शीर्षक- पति पत्नी

पति पत्नी होते हैं एक दूसरे के पूरक,
एक के बिना दूसरे में ना जीने की ललक।
दो अंजाने एक साथ जीने मरने की कसम खाएं,
विवाह बंधन में बंधे, दी पति-पत्नी की झलक।

पवित्र रिश्ता पूरी शिद्दत से निभाते हैं,
एक दूसरे का पर्याय बन जाते हैं।
निभाते हैं दोनों सुख-दुख की कसमें,
भावनाओं का सम्मान करके आगे बढ़ते हैं।।

जीवन रूपी गाड़ी के दो हैं पहिए,
हंसी खुशी से एक साथ रहिए।
प्रेम और विश्वास का अटूट बंधन है,
कठिन डगर पर हाथ थाम चलिए।।

सम्मान सदा एक दूसरे का करते हैं,
एक दूजे का मान सदा रखते हैं।
मंजिल पर अपनी आगे चलते हैं वो,
त्याग और तप का चंदन बन महकते हैं।।

एक साथ हसीन पल गुजारना चाहते हैं,
प्रेम को अपने जीवित सदा रखना चाहते हैं।
गृहस्थी के झंझट में खुद को फंसा पाएं,
फिर भी एक साथ जीना चाहते हैं।।

रचना✍️
नम्रता श्रीवास्तव (प्र०अ०)
प्रा०वि० बड़ेहा स्योंढा
क्षेत्र-महुआ,जिला-बांदा

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