कुछ सपने हैं मेरे मन में अरमान सजाए बैठे हैं..

*🇮🇳लक्ष्य✍*
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कुछ सपने हैं मेरे मन में
अरमान सजाए बैठे हैं..
उनकी चिंता है नहीं मुझे,
जो हमसे ऐंठे ऐंठे हैं..
माना मै सूरज नहीं मगर,
दीपक सा मैं भी जलता हूँ..
माना तुम आंधी से चलते,
मै ठंड हवा सा चलता हूँ..
माना मै वृक्ष नहीं ऐसा,
जिसको माली ने सींचा है
मेरा अंकुरण शैल से है,
मृत्यु से जीवन खींचा है..
मै शीशा नहीं जिसे कोई,
पत्थर मारोगो तोड़ोगो..
मै इतना भी कमजोर नहीं,
जिसको तुम रोज मरोड़ोगे..
तेरे जुल्मों की हद्द जहाँ तक,
उससे ज्यादा सह सकता हूँ..
सहने की ताकत अन्त तलक,
बिन आह किए रह सकता हूँ,
मुझमें सागर सी गहराई,
कितने पत्थर तुम फेंकोगे..
गिर गिर कर चलना आता है
कब तक तुम हमको रोकोगे..
तुम मुझको तोड़ नहीं सकते,
क्योंकि मै न झुकने वाला हूँ..
जब आगे कदम बढ़ा बैठा,
अब मै न रूकने वाला हूँ..

प न पांडेय *सृजन*

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