मेरे गांव से सुंदर कोई गांव नहीं होगा
दिन – गुरु वार
दिनांक – 08 – 07 -2021
विषय – गाँव
विधा – कविता ” पद्य विधा ”
*******************
मेरे गांव से सुंदर कोई गांव
नहीं होगा
इसकी सुंदरता का कोई मोल भाव
नहीं होगा ,
शहरों में कहां मिलता है सुकून जो
मेरे गांव में था
मेरा गांव मेरे लिए एक जन्नत
के जैसा था ।
बड़े-बड़े आम के पेड़ों के बीच गर्मी
यूं ही कट जाती थी
मां की लोरियां तो मीठी नींद
सुलाती थी ,
बिजली , सड़क, पानी की सुविधा
सब मेरे गांव में थी
जो भी आता गांव में मेरे
आदर सत्कार पाता था
मेरा गांव मेरे लिए एक जन्नत के
जैसा था ।
सीधे-साधे लोग यहां पर दिखावे का
नाम नहीं था
छोटा सा स्कूल मेरा पूरे गांव में
इकलौता था ,
पढ़ते थे हम बस खूब मौज से
शिक्षक के लाडले थे
देखकर शहर की चकाचौंध को गांव
अपना याद आता है
मेरा गांव मेरे लिए एक जन्नत
के जैसा था ।
स्वच्छ हवा थी और खुला आसमां
गांव की आभा प्यारी थी
लहराते थे खेत खलियान मनमोहक
वो क्यारी थी ,
खेत में जब हल चलता तो मिट्टी की
खुशबू आती थी
पशुओं के गले की घंटी मन मोह
ले जाती थी
आहा ! गांव का जीवन प्यारा कितना
सुंदर था
मेरा गांव मेरे लिए एक जन्नत के
जैसा था ।
छूट गया वह प्यारा बचपन वह गांव
का नजराना
सूरज उगते ही दूर-दूर फैली
हरियाली को देखना ,
वह प्रकृति का सुख और वह सांझ
ढलते पक्षियों को निहारना
आ गए शहर में अब हम , बंद हमारा
ठिकाना था
मेरा गांव मेरे लिए एक जन्नत की
जैसा था ।
शोभा तिवारी ” समीक्षा ”
उत्तराखंड 😊
पूर्णतः मौलिक स्वरचित और अप्रकाशित रचना
धन्यवाद 😊😊