एक नई शुरुआत
एक नई शुरुआत
बहुत कुछ फिसल गया हाथों से
बहुत कुछ अब नहीं रहा है पास,
माना नही रहा अब पहिले जैसा
मन में किसी के आत्मविश्वास
पर जंग तो जारी है !
अब जिंदगी की बारी है ,
फिर से कोशिश करनी होगी
करनी होगी एक नई शुरुआत।।
सीख कर अपनी गलतियों से
फिर से कदम बढ़ाएंगे, उप
नई दिशा में नए जीवन का
हम फिर से लक्ष्य बनाएंगे!
धरोहर जो प्रकृति की है ,
उसे अब हम लोटाएंगे ,
नही कटने देंगे इतने वृक्ष
हर अवसर पर वृक्ष लगाएंगे ।।
फिर से करेंगे एक नई शुरुआत
हम जन–जीवन को बचाएंगे,
अमृत समान है जल हमारा
अब इसको व्यर्थ न बहाएंगे!
अपने पर्यावरण की खातिर,
अब अनुशासन को अपनाना है,
हर पल प्रकृति से जो छीना है ,
अब सब उसको लोटना है।।
प्रदूषित न हो पर्यावरण
इसको ही लक्ष्य बनाना है!
हरी भरी हो ये धरा हमारी ,
जल से भरा हो सबका जीवन
लहलाती फसलों से फिर से
खुशहाली फैलाना है !
गांव या शहर सभी को अब फिर,
एक नई शुरुआत से आगे आना है।।
©️®️ प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
ashidubey48@instagram.com