वो ओढ़े लाल लहंगा,माथे बिंदी लगाई है। आज मेरी बिटिया की,इस घर से विदाई है।।
वो ओढ़े लाल लहंगा,माथे बिंदी लगाई है।
आज मेरी बिटिया की,इस घर से विदाई है।।
आंखों में है आंसू,चेहरे पर खुशी छाई है।
बड़े दिनों के बाद, ये शुभ घड़ी आई है।।
उसकी यादों से मैंने, हर दीवार सजाई है।
खुश रहे बेटी मेरी, बस इतनी ही दुहाई है।।
एक घर से मिलन, तो एक से जुदाई है।।
सच कहते हैं लोग,बेटी तो धन पराई है।।
स्वरचित
[केसरवानी©चन्दन]
कानपुर नगर उत्तर प्रदेश
8090921177