तुम मेरा मौन हो

“तुम मेरा मौन हो”

तुम मेरा मौन हो,
बताओ तो कौन हो।
दिल की दहलीज पर दी दस्तक,
नहीं पता क्यों मौन हो।।

मन के तार छेड़ कर ना चुप रहो,
भावनाओं को अब ना आहत करो।
प्रणय की कोई सूरत बताओ,
जज्बात की आंधी को रोका न करो।।

कहना चाहूं पर कह ना सकूं,
बताना चाहूं पर बता ना सकूं।
हाल बेहाल है अब क्या करूं,
हंस ना सकूं और रो भी ना सकूं।।

दीदार की आस कब तक धरुं,
अंखियन बहे नीर कब तक चुप रहूं।
खामोश लव हैं शून्य सा मन,
लफ्जों में बयां मैं कर ना सकूं।।

प्रियतम अब तो बोलो क्या इसे कहूं,
अजाब में कुछ राहत ना पा सकूं।
शाद रहना चाहूं ,नाशाद ही रह गई,
अनकहे अल्फाज बन अब रह ना सकूं।।

स्वरचित✍️
नम्रता श्रीवास्तव (प्र०अ०)
प्रा०वि० बड़ेहा स्योंढा
क्षेत्र-महुआ,जिला-बांदा(उत्तर प्रदेश)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *