दोष किसका ??
दोष किसका ??
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वैवाहिक क्षण जीवन का सबसे सुखद क्षण माना जाता है। किन्तु चन्द लोगों द्वारा की गई ग़लतियों का दुष्प्रभाव उनको भोगना पड़ता है, जिसका किसी भी प्रकार का दोष ही न हो। आज हमारे समाज में जब कभी भी विवाह होता है तो पुरुष अतिथियों की पहली महत्वकांक्षा और शर्तें होती हैं कि मदिरापान किया जाए। फ़िर चाहे वे अतिथि वर पक्ष से हों अथवा कन्या पक्ष से। उनके लिए कोई महत्वपूर्ण बात नहीं होती। किन्तु मदिरापान करने से उसका क्या घातक परिणाम हो सकता है कोई नहीं जानता। या यूँ कहें कि सब कुछ जानते हुए भी ऐसा करना अपनी शान समझते हैं। और आगे परिणाम जो भी होता है उसका श्रेय पूर्ण रूप से उस वधु(दुल्हन) पर डाल दिया जाता है। यह कहकर की दुल्हन के क़दम या उसकी परछाई अशुभ है। जिसके कारण यह अनर्थ हुआ। जबकि दुल्हन का उस परिस्थिति से कोई सम्बन्ध नहीं होता। फिर भी दोषी उसे ही माना जाता है। इसके पश्चात जो परिणाम सामने आता है वह निम्न काव्य के माध्यम से दर्शित है। 💔💔💔💔
🌺दोष किसका🌺
वह नूर-ए-चेहरा और उसके मुस्कुराते गुलाबी होंठ,
वह खूबसूरत सी कजरारी आँखें और झुकती पलकें।
जाने क्या क़सूर था उसका जो खो गई वह कहीं,
ग़म के बादलों के बीच अब यूँहीं अपनी आँखें मीच।
ख़ुश थी वह बहुत अपने व्याह के नाम पर,
अब जैसे आने ही वाली थी डोली अरमानों की।
हँसती खिलखिलाती-धूम मचाती फ़िरती थी,
घर आँगन – सब कहते देखो आई राज-दुलारी।
फ़िर दुखद ख़बर थी आई लेकर सन्नाटों की परछाई,
ख़ुशहाली बदला मातम में आ पहुँचा दूल्हा अर्थी में।
हो व्याकुल सब रो पड़े शादी घर में सन्नाटा छाया,
हाँथों की मेहंदी भी न सूखी वाहन लेकर अर्थी आया।
छीन गया सारा सुख चैन विवाहिता भी न बन पाई,
जाने किसने कुकर्म किया जाने कैसी दुर्दशा छाई।
ऐसे उसकी ज़िन्दगी रूठी खिलती बगिया तबाह हुई,
हँसती खेलती कली पुष्प की देखो अब कैसे मुरझाई।
गीतिका पटेल “गीत”
कोरबा, छत्तीसगढ़
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