मैं बीमार हूं”

विषय_ “मैं बीमार हूं”

 

मैं बीमार हूं,
बहुत लाचार हूं,
ऐसे ही चलता रहा,
तो बहुत बीमार हूं।

जानते हो मैं कौन हूं,
मैं प्रकृति हूं, मौन हूं,
कोई तो वेदना समझो,
कब तक सहूं मौन हूं।

इतना प्रदूषण जो तुम करोगे,
धरा को स्वच्छ कैसे रखोगे,
प्राण दायिनी वायु ना होगी,
सांसो को जीवित कैसे रखोगे।

संभल जा ए मानव,
मत बन दानव,
भयंकर रूप जो मैंने दिखाया,
कैसे सहोगे तुम यह मानव।

मैं बीमार हूं,
बहुत लाचार हूं,
कुछ नहीं चाहिए मुझे,
चाहती उपचार हूं।

नम्रता श्रीवास्तव (प्र०अ०)
प्रा० वि० बड़ेहा स्योंढा
क्षेत्र-महुआ, जिला-बांदा

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